White डर लगता है आवारगी के अंधेरों से धुंधले सवेरों से घबराने लगा है मन पोशीदा मक्कारी के तेवरों से सखी अक्सर जैसे बरसात आंसुओं को छुपा लेती है कभी कभी वैसे ही भीड़ गुनाहगार को बचा लेती है हमे ही ढंग से चाक चौबंद रहने का पाबंद होना पड़ेगा चुगल चौपाटी छोड़ अपने बीच जयचंदो को खोजना पड़ेगा बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla #sad_shayari RAVINANDAN Tiwari