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कैप्शन में पढ़े हमारे गांव के रीति रिवाज जो आज भीं

कैप्शन में पढ़े🙏🙏आजकल तो बहुत सी बाजार में मिठाई आती हैं। पर उस ज़माने में शादी में लें जानें के लिए गांव के लोग जलेबी यां पतासे ही लेकर जाते थे। जिसे हम आंदली कहते थे। जिसे नेक भीं कहते है। यह एक परंपरा थी। जैसे किसी के घर में शादी होती थी। तो जलेबी यां पतासे और नारियल इन तीनों मे से कोई भीं पैसे जो देनेवाले की क्षमता अनुसार होता। यह पहले दिया जाता था। ताकि लड़की या लडके की शादी मे कुछ सहयोग हो जाया करता था। पर आजकल तो लोग लिफाफा यां कोई गिफ्ट शादी के समय देते हैं। पर उस ज़माने में गांव के मिलने वालों के साथ साथ घर के भाई बंध और बहन बेटी सब कुछ न कुछ घर का सामान जो लड़की के काम आने वाली चीजें देते थे तो पिता पर कम भार पड़ता था। गावों में शादी हों या कोई भीं कार्यक्रम होता था तो पड़ोसी भीं बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे। मेहमानों की आवभगत और भीं बहुत कुछ होता था। ये हमारे 80,, 90की मीठी यादें हैं। बचपन बड़े पापा मम्मी दादा दादी काका काकी उन्हीं के बीच में रह कर निकल जाता था। आज तो बच्चो को अकेला भीं नहीं छोड़ सकते हैं। हमारे बचपन की यादें हैं जो सांझा की है।80, 90कीबचपन की यादें हैं। अब आजकल के लोगों को शायद ही अच्छा लगता हों।
#storyofheart #Nojoto  Ankita Tantuway kanta kumawat munish writer SURAJ PAL SINGH Raj  Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)  Sudha Tripathi Praveen Jain "पल्लव" abhishek sharma Icharaj kanwar  पथिक  Lalit Saxena ram singh yadav ए-कलम Badal Singh Kalamgar Neetu Sharma   Neetu Sharma  प्रिय-अंक Pushpvritiya Krishnadasi Sanatani SIDDHARTH.SHENDE.sid  heartlessrj1297 Angelus aaravya Srivastava Neha Tiwari Anshu writer

कैप्शन में पढ़े🙏🙏आजकल तो बहुत सी बाजार में मिठाई आती हैं। पर उस ज़माने में शादी में लें जानें के लिए गांव के लोग जलेबी यां पतासे ही लेकर जाते थे। जिसे हम आंदली कहते थे। जिसे नेक भीं कहते है। यह एक परंपरा थी। जैसे किसी के घर में शादी होती थी। तो जलेबी यां पतासे और नारियल इन तीनों मे से कोई भीं पैसे जो देनेवाले की क्षमता अनुसार होता। यह पहले दिया जाता था। ताकि लड़की या लडके की शादी मे कुछ सहयोग हो जाया करता था। पर आजकल तो लोग लिफाफा यां कोई गिफ्ट शादी के समय देते हैं। पर उस ज़माने में गांव के मिलने वालों के साथ साथ घर के भाई बंध और बहन बेटी सब कुछ न कुछ घर का सामान जो लड़की के काम आने वाली चीजें देते थे तो पिता पर कम भार पड़ता था। गावों में शादी हों या कोई भीं कार्यक्रम होता था तो पड़ोसी भीं बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे। मेहमानों की आवभगत और भीं बहुत कुछ होता था। ये हमारे 80,, 90की मीठी यादें हैं। बचपन बड़े पापा मम्मी दादा दादी काका काकी उन्हीं के बीच में रह कर निकल जाता था। आज तो बच्चो को अकेला भीं नहीं छोड़ सकते हैं। हमारे बचपन की यादें हैं जो सांझा की है।80, 90कीबचपन की यादें हैं। अब आजकल के लोगों को शायद ही अच्छा लगता हों। #storyofheart Nojoto @Ankita Tantuway @kanta kumawat @munish writer SURAJ PAL SINGH @Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra) Sudha Tripathi @Praveen Jain "पल्लव" @abhishek sharma @Icharaj kanwar पथिक @Lalit Saxena @ram singh yadav ए-कलम Badal Singh Kalamgar @Neetu Sharma Neetu Sharma @प्रिय-अंक @Pushpvritiya Krishnadasi Sanatani @SIDDHARTH.SHENDE.sid @heartlessrj1297 @Angelus @aaravya Srivastava @Neha Tiwari @Anshu writer #समाज

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