दोहा दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश । शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१ दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान । दीपक जिनके हाथ में , राहें हो आसान ।।२ दीपक तो दीपक रहे , मिट्टी या हो धातु । जिसको जग है पूजता, कहके लक्ष्मी मातु ।।३ मिट्टी हो या धातु के , देते दीप प्रकाश । भटके राही को नहीं , करते कभी निराश ।।४ घर से पहले मन करो ,तुम सब अपना साफ । वरना लक्ष्मी माँ कभी , नही करेगीं माफ ।।५ पहले मन को स्वच्छ कर , जग कर लेना बाद । खुद में इतने पाप है , कर ले उनको याद ।।६ २०/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Relationship दोहा दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश । शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१ दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान । दीपक जिनके हाथ में , राहें हो आसान ।।२