जीवन तो कुछ इनका भी होगा जो इस उम्र में भी खुद पका कर खाते जिनको मिलता पका पकाया उन्हें नखरे आते जब लगती है भूक इन्हे कचे फल ही खा जाते जिन्हे आता है ज्यादा नखरा पके हुए भी नहीं भाते बस केवल होते है देक कर वे राजी समझ में नहीं आता केसी है उपर वाले की बाजी