पिंजड़े में कैद मैं अकेली नही वर्षो से तुम भी कैद हो यहाँ जहा समाज के शब्द बांधते है तुन्हें और तुम बंधते आ रहे हो न जाने कितने सालों से जो चाहती है कि तुम करो तुम करते हो ये जानते हुए की तुम्हे पीड़ा हो रही है मगर तुम कैद हो समाज के किसी पिजंडे मे जहां आज़ादी का मतलब सजाए मौत है या देश निकाला कभी कभी हमारी स्थिति भी पिंजरे के पंछी जैसी हो जाती है। #पिंजरेकापंछी #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi