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गुलाबों सा इश्क़ नहीं परिजात के फूलों सरीखा प्रेम

गुलाबों सा इश्क़ नहीं
परिजात के फूलों सरीखा 
प्रेम किया हैं, मैंने आप से
ग़ुलाब संभाले ना जाए तो सूख जाते हैं 
हाथों में कांटे चुभो देते हैं 
परिजात के फूल,कुचल दिए जाने पर भी
शालीनता से
अपना माधुर्य और रंग
पांवों तले चुपचाप छोड़ जाते हैं 
बिना किसी अपेक्षा के
किसी के प्रति समर्पित होना 
आज के युग में असंभव ही हैं
मुझे,आप की प्रसन्नता,कुशलता, सम्मान और हित के अतिरिक्त 
शेष किसी प्रकार की कोई लालसा नहीं
मेरा प्रेम एकल हो कर भी पूर्ण ही हैं...

©ashita pandey  बेबाक़ #good_night  लव स्टोरी खतरनाक लव स्टोरी शायरी
गुलाबों सा इश्क़ नहीं
परिजात के फूलों सरीखा 
प्रेम किया हैं, मैंने आप से
ग़ुलाब संभाले ना जाए तो सूख जाते हैं 
हाथों में कांटे चुभो देते हैं 
परिजात के फूल,कुचल दिए जाने पर भी
शालीनता से
अपना माधुर्य और रंग
पांवों तले चुपचाप छोड़ जाते हैं 
बिना किसी अपेक्षा के
किसी के प्रति समर्पित होना 
आज के युग में असंभव ही हैं
मुझे,आप की प्रसन्नता,कुशलता, सम्मान और हित के अतिरिक्त 
शेष किसी प्रकार की कोई लालसा नहीं
मेरा प्रेम एकल हो कर भी पूर्ण ही हैं...

©ashita pandey  बेबाक़ #good_night  लव स्टोरी खतरनाक लव स्टोरी शायरी