वर्षो से बह रही हो तुम हिमालय से निकलकर बढ़ रही हो तुम बिना कुछ सोचे हर रास्तों से गुजर कर कितने लोगो के पापों को खुद में लेते हुए तुम पवित्र हो अभी भी बिल्कुल गंगा बन कर बार बार पाप धोए जाते है तुझमे हर बार बहा दिए जाते है मैल पवित्र हो जाएंगे ये समझकर तूम तो बहता जल हो लिये पाप तुम सबके बह जाओगी आगे निकलकर कर मगर उनका क्या जो बार-बार लगातार आएंगे अपने मन की गंदगी बहाने तुझे महान समझकर तेरी वेदना नही समझेंगे ये लोग कितनी मैली हो चुकी है तू इनके पाप तू खुद के अंदर लेकर वर्षो से बह रही हो तुम हिमालय से निकलकर बढ़ रही हो तुम बिना कुछ सोचे हर रास्तों से गुजर कर कितने लोगो के पापों को खुद में लेते हुए तुम पवित्र हो अभी भी बिल्कुल