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White पगडंडियों पर चल रही सांस है एक अधूरेपन की

White पगडंडियों पर चल रही सांस है  
एक अधूरेपन की सिर्फ आस है
मैं बिखर रहीं हूं टुकड़ों में यहां
काश मैं हंसूं स्वयं पर तल्ख से
मेरी गात बस अब एक लाश है

©Shilpa Yadav
  #GoodMorning #Shilpayadavpoetry#nojotohindi#shilpayadavpoet  Vishalkumar "Vishal"  Ravi Ranjan Kumar Kausik  संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु  Anshu writer  Shiv Narayan Saxena  poonam atrey