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White सफ़रनामा अधखुली सी

White                           सफ़रनामा 
अधखुली सी पलकों में, लावा सा एक  सुलगता है,
सो जाते हैं अरमान जब ,तब ख़्वाब नया जगता है,

चले  जा  रहे  हैं ,  एक   अंतहीन  सफ़ऱ की ओर,
मेरे क़दमों की चाल देख,हर कोई मुझको तकता है,

अकेले हैं इस सफ़ऱ में , कोई कारवाँ साथ नही है,
ज़िन्दगी है थोड़ी सी , बहुत  लंबा  मगर  रस्ता है,

डर डर के कदम रखे थे ,पहचानी सी राहों मे भी,
अजनबी चेहरों को देख,दिल जोर से धड़कता है,

पहचान एक नई मिली, जब ढ़ली मैं एक किरदार में,
नाम एक खनकता हुआ ,उस किरदार में झलकता है,

खो   गई  थी  मैं  कभी , इस  दुनिया  की   भीड़ में,
कभी तन्हाइयों से डरती थी,अब भीड़ से डर लगता है।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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#नोजोटोराइटर्स  Ravi Ranjan Kumar Kausik Anil Ray Vijay Vidrohi Suresh Gulia Sanjeev Suman  Mahi HINDI SAHITYA SAGAR Rajesh Arora PURAN SING‌H CHILWAL दीप बोधि  uvsays vineetapanchal Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). RAVINANDAN Tiwari AD Grk  Mili Saha ANSARI ANSARI पथिक.. Rakesh Srivastava बादल सिंह 'कलमगार'  Anshu writer शीतल चौधरी(मेरे शब्द संकलन ) Anju प्रज्ञा Neel  @hardik Mahajan वंदना .... Ritu Tyagi Saloni Khanna Kamlesh Kandpal  Ravi vibhute AbhiJa