पल्लव की डायरी नीतियां सैकड़ो बदलती रही देश की सूरत अब तक नही बदली है झूठे भाषणों और विज्ञापनो से जनता को आश्वासनों की ख़ुराक़ मिली है व्यवस्थायो के थप्पड़ कब तक सहने होंगे बदलाव के लिये सियासतों को कब तक अजमाते रहने होंगे डग्गा मारी से देश कब तक चलाओगे जनता को खून के आंसू कब तक रुलाओगे जाति धर्म भाषा के संघर्षों से कब ऊपर उठ पयोगे विभाजनकारी नीतियों से सामाजिक द्वंद कब तक बढ़ाओगे किया निजीकरण की नीतियों से जनता के सारे अधिकार ही बेच जाओगे देश बनाने के लिये कब अपने को खपाओगे किया नेक नियत को कभी अपनी प्राथमिकता बनवाओगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" व्यवस्थायो के थप्पड़ #Barrier