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बहे जा रहे हैं दुःख के समुन्दर में, तिनके का सहार

 बहे जा रहे हैं दुःख के समुन्दर में,
तिनके का सहारा बन जाओ..!
मरने से पहले देख लें तुम्हें जी भर के,
हो सके तो किसी बहाने आओ..!

सुलग रही है चिता अरमानों की,
थोड़ा बादल बन बरस जाओ..!
ठंडी पड़ने से पहले लाश मेरी,
रिश्तों की गर्माहट दिखाओ..!

बंजर हो गई है दिल की जमीं,
अपने प्रेम से इसे सींच जाओ..!
लहलहाये फ़सल मोहब्बत की,
मन को थोड़ा सा हर्षाओ..!

भगदड़ मची है ख्वाईशों की जेहन में,
कुछ पल समीप ठहर जाओ..!
कि स्थिर हो जाये विचार सब,
आँखों को अपना दीदार कराओ..!

©SHIVA KANT
  #mohabbat_aasan_nhi