दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं। दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।" ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं। दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।