ज़न्नत कदम कुछ दूर नापे थे, थमा था हर कदम पर भी अगर तुम रोक लेते तो, कभी मैं, यूँ नहीं जाता बस एक आवाज़, दे देते, मुझे बढ़कर हल्की सी मैं राहे मोड़ देता सब, मग़र तुझ तक पहुँच जाता। सफ़र कटता जो तेरे संग वो जन्नत ही मुझे लगता मोहब्बत टूट कर करता तुझे मैं दिल में बैठाता बस एक आवाज़, दे देते, मुझे बढ़कर हल्की सी मैं राहे मोड़ देता सब, मग़र तुझ तक पहुँच जाता कदम कुछ दूर नापे थे, थमा था हर कदम पर भी अगर तुम रोक लेते तो, कभी मैं, यूँ नहीं जाता।