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White शीर्षक- जलजला, जलजला, जलजला आयेगा ----------

White शीर्षक- जलजला, जलजला, जलजला आयेगा
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(शेर)- दे रही है संकेत हवा भी अब, शायद तूफ़ान आयेगा।
       होगा हर तरफ तबाही का मंजर, ऐसा भूचाल आयेगा।।
      शायद ही जिन्दा रहे मोहब्बत, जमीं पर किसी इंसान में।
     नफरत- दुश्मनी,हिंसा का कलयुग, अब जमीं पर आयेगा।।
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तप रही है जैसे धरती,आज इतनी आग से।
आ रही है यही ,अब हर राग से।।
आने वाला वक़्त कैसा काल लायेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

बेशर्म और लापरवाह, जब घर का मुखिया होगा।
भूख- प्यास से तड़पता, हर कोई घर में होगा।।
ऐसा ही मंजर नजर जब, देश में आयेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

कर लेंगे बन्द, आँख- कान- मुँह लोग जब।
यकीन दुराचारियों पर, करने लगेंगे लोग जब।।
भ्रष्टाचारी- पापियों का जब, राज हो जायेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

सरेराह होंगे चिरहरण, मूकदर्शक शासक होगा।
थानों- अदालतों पर जब, हैवानों का कब्जा होगा।।
अन्याय- रावण राज पर, नीरो जब बंशी बजायेगा।।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

पाने को शौहरत- दौलत, कलमकार बिकने लगेंगे।
गरीबी- बेरोजगारी पर जब, लिखने से डरने लगेंगे।।
असत्य का गुणगान जब,मीडिया भी गाने लगेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।
तप रही है जैसे धरती------------------।।

जाति- धर्म- क्षेत्र के जब, बलवें होने लगेंगे।
नफरत- दुश्मनी के जब, बीज बोने लगेंगे।।
रक्तबीजों- नरपिशाचों से, कैसा कलयुग आयेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती----------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #साहित्यकार
White शीर्षक- जलजला, जलजला, जलजला आयेगा
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(शेर)- दे रही है संकेत हवा भी अब, शायद तूफ़ान आयेगा।
       होगा हर तरफ तबाही का मंजर, ऐसा भूचाल आयेगा।।
      शायद ही जिन्दा रहे मोहब्बत, जमीं पर किसी इंसान में।
     नफरत- दुश्मनी,हिंसा का कलयुग, अब जमीं पर आयेगा।।
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तप रही है जैसे धरती,आज इतनी आग से।
आ रही है यही ,अब हर राग से।।
आने वाला वक़्त कैसा काल लायेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

बेशर्म और लापरवाह, जब घर का मुखिया होगा।
भूख- प्यास से तड़पता, हर कोई घर में होगा।।
ऐसा ही मंजर नजर जब, देश में आयेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

कर लेंगे बन्द, आँख- कान- मुँह लोग जब।
यकीन दुराचारियों पर, करने लगेंगे लोग जब।।
भ्रष्टाचारी- पापियों का जब, राज हो जायेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

सरेराह होंगे चिरहरण, मूकदर्शक शासक होगा।
थानों- अदालतों पर जब, हैवानों का कब्जा होगा।।
अन्याय- रावण राज पर, नीरो जब बंशी बजायेगा।।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती---------------------।।

पाने को शौहरत- दौलत, कलमकार बिकने लगेंगे।
गरीबी- बेरोजगारी पर जब, लिखने से डरने लगेंगे।।
असत्य का गुणगान जब,मीडिया भी गाने लगेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।
तप रही है जैसे धरती------------------।।

जाति- धर्म- क्षेत्र के जब, बलवें होने लगेंगे।
नफरत- दुश्मनी के जब, बीज बोने लगेंगे।।
रक्तबीजों- नरपिशाचों से, कैसा कलयुग आयेगा।
जलजला, जलजला, जलजला आयेगा।।-- (2)
तप रही है जैसे धरती----------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #साहित्यकार