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धन निरंकार जी जिन्दगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा

धन निरंकार जी 

जिन्दगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
 
हम फरेब सीख न पाए ओर दिल बच्चा ही रह 

गया। सेवा ,सत्संग ,सीमरण,जिन्दगी का  

हिस्सा ही बन गया,

हम खो न जाए दुनिया की भीड़ में इसीलिए 

तूने सम्भाल लिया ।


Poetry jyoti khandelwal. Sirohi 


धन निरंकार जी jyoti khandelwal
धन निरंकार जी 

जिन्दगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
 
हम फरेब सीख न पाए ओर दिल बच्चा ही रह 

गया। सेवा ,सत्संग ,सीमरण,जिन्दगी का  

हिस्सा ही बन गया,

हम खो न जाए दुनिया की भीड़ में इसीलिए 

तूने सम्भाल लिया ।


Poetry jyoti khandelwal. Sirohi 


धन निरंकार जी jyoti khandelwal