पल्लव की डायरी उठाओ लुत्फ,शहर अब जगमगाने लगे है चाँद की रोशनी में नहाने लगें है दूरियां कम गाँवो से,मन को भाने लगे है गालो से चिकनी रोड,दिल भरमाने लगे है स्वर्ग की कल्पना देख,आनन्द उठाने लगे है नजारो को कैद कर, मन गाने लगे है काश सपनो की गंगा गाँवो तक पहुँचे उत्सवो के त्योहार रोज मनाने लगेंगे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #safar काश सपनो की गंगा गाँवो तक पहुचे #safar