मेरी कल्पनाओं में रचित तुम कोई ख्वाब सी लगती हो मुझे। निर्गुण हो ,सगुण हो ,कौन हो तुम? इसका भी ,कोई आभास नहीं मुझे। तुम्हारे साथ रात भी ,स्पृहयुक्त, प्रकाशवान दिन उदास जर्जर जैसे बूढ़े बैठक की दिवाल। #twilight #प्रेम #शाश्वत