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. हमारी-तुम्हारी मातृभाषा बनती जा रही है, मात्र

.
हमारी-तुम्हारी    मातृभाषा
बनती जा रही है, मात्रभाषा
चढ जायेगी चिता पे भी, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
चिन्दी-चिन्दी,    बिन्दी से बुनी
परी-कथा जिसमें, दादी से सुनी
बन जायेगी कथा सी ही, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
हमारी-तुम्हारी..................
अक्षर-अक्षर,     स्वर की सरगम
जय-गीत जिसमें, मन का परचम
झुक जायेगी पताका भी ऊंची, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
हमारी-तुम्हारी..................
शब्द-शब्द,        धर्म सी आस्था
घर-घर जिसकी समाजिक व्यवस्था
टूट जायेगा समाज भी, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
हमारी-तुम्हारी..................
-विपिन कुमार सोनी, 26.01.2007 #matrubhasha
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हमारी-तुम्हारी    मातृभाषा
बनती जा रही है, मात्रभाषा
चढ जायेगी चिता पे भी, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
चिन्दी-चिन्दी,    बिन्दी से बुनी
परी-कथा जिसमें, दादी से सुनी
बन जायेगी कथा सी ही, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
हमारी-तुम्हारी..................
अक्षर-अक्षर,     स्वर की सरगम
जय-गीत जिसमें, मन का परचम
झुक जायेगी पताका भी ऊंची, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
हमारी-तुम्हारी..................
शब्द-शब्द,        धर्म सी आस्था
घर-घर जिसकी समाजिक व्यवस्था
टूट जायेगा समाज भी, इक दिन
गर न चेते बेटे! जरा सा
हमारी-तुम्हारी..................
-विपिन कुमार सोनी, 26.01.2007 #matrubhasha