We shall Overcome पल्लव की डायरी रुके हुये कदम हमारे कुछ दिनो के लिये थम सकते है पीड़ाओं के सागर राह नही बदल सकते है कामयाबी का जज्बा कायम करके एक बार फिर खड़े हो सकते है दुनिया को साथ लेकर मिले जख्मो को फिर भर सकते है सेवा भाव से घावों को सिल सकते है दुखी हुये मानव में उमंगों के बादल उमड़ सकते है महामारी की साजिशों को हम सब मिलकर विफल कर सकते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #IndiaFightsCorona सेवा भाव से घावों को सिल सकते है #IndiaFightsCorona