प्रेम की तरह भक्ति भी अंतर्मन में करने की रीत है मन के रास में डूबती उभरती छवि ही सखी प्रीत है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla चाँदनी वंदना .... KK क्षत्राणी Dr. uvsays