White पल्लव की डायरी दिन के भी उजाले, कम है तरक्की के लिये नींद और चैन अपने गवाते गवाते रातो को भी बाजार रोशन होने लगे है जरूरतों जो कभी कम ना हुयी जीवन रोज खपाते खपाते दौड़ और होड़ की लगी है बाजी मौत के आगोश में जाते जाते प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #good_night दौड़ और होड़ की लगी है बाजी