गावँ गाँव उड़ती वो चिड़िया सुबह-सवेरे आती वो गुड़िया बैठ मुंडेर पर चहचहाती वो बिटियां पीपल के पेड़ों पर अपना घर बसाती वो चिड़िया हर आँगन को अपना बनाती वो चिड़िया हर बचपन की मुस्कान बन जाती वो गुड़िया पर....😟 गयी अब दूर तलक तक ना आयी अब वो फुदक कर सुने पड़े हैं सबके घर आँगन डाल डाल पात पात सब है खाली लौटा दे सबका वो बचपन लौट कर आजा तू फ़िर हम संग😢 लौट आ चिरैया..... ओ रे गोरैया..... हमेशा से गोरैया हमारे जीवन और हमारी दिनचर्या के बेहद क़रीब रही पर आज ना जानें वो कहाँ खो गयी.... #गोरैया #परिन्दे #शब्द #प्रवासी #घरपहुँचते #चिड़ियाउड़गई #बचपन #कविता