वीर सुशोभित जब कर में होती तलवार दुधारी , चाँद - सितारे शोभा नभ के , घर की शोभा नारी , ममता बिन नरता की कोई कद्र नहीं है जग में , प्यार बिना जीवन सूना है , फूल बिना फुलवारी ! अशांत (पटना ) poem