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वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर पल में एक

वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली।
छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई,
कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने।

वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया,
जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया।

©नवनीत ठाकुर #वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली।
छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई,
कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने।

वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया,
जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया।

©नवनीत ठाकुर #वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही,
हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।