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मै खुद का पीठ खुद थपथपा लेती हू लड़खड़ती हू तो खु

मै खुद का पीठ खुद थपथपा
लेती हू

लड़खड़ती हू तो खुद को
खुद गले लगा लेती हू

क्योंकि जानती हू जिस दौर की
कहानियाँ मै लिख रही हू

उसे स्वीकृति अभी नही
एक सदी बाद
मिलेगी

मै काल के पीठ पर निश्चितता नही
अनिश्चितता लिख रही हू


चाँदनी 🌙

©चाँदनी
  #Sadiya