रखना सब ग्रन्थों का सार जरूरी है करना उसका व्यवहार जरूरी है सरलता व तरलता के गुण अपनाओ *जीवन में सच का श्रृंगार जरूरी है कहते रत्नाकर कि प्रेम ही* ईश्वर है किसी से प्यार, एक बार जरूरी है काम हुआ तो चले गए यूँ* उठकर क्यों तुमको* तो देना आभार जरूरी है माँ - बाप का कर्ज* अदा नही होता पर यथाशक्ति चुकाना* उधार जरूरी है "हर" कहता है गुण गाओ तुम जननी* की इस हिन्द वतन से प्यार जरूरी है #हरीश #पटेल#हर