घूंघट में चाँद घुंघट में चाँद है,और चारों ओर अंधेरा है.. बेपर्दा हो जाए चाँद कैसे, जूल्मी बादलों ने जो घेरा है .. घुंघट खोलने का मन तो चाँद का भी करता है, लेकिन दिल बादलों की गर्जन से भी डरता है .. जब ये निगौडा बादल छटेगा, तब जाकर चाँद का घूँघट हटेगा. घुंघट में चाँद