समाज के हरेक नागरिक से जांच पड़ताल करने पर पता चला कि सभी समाज के नागरिक लुभावने और आकर्षित छल, द्वेष-भाव, कपट, भ्रष्ट, भ्रम, दुर्व्याहार और शासन में अभिनव कर रहे है। जो समाज के भविष्य ही नही बर्बाद कर रहे है बल्कि आने वाले समाज का पथ दिखा रहे। जिससे दुप्रर्भाव ही नही बल्कि बुरा असर पड़ेगा । जिससे विनाश होना तय ही नही सुनिश्चित है। " समाज ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्वरुप में सबकी दुनिया है" कवि और लेखक आशीष अनुपम समाज के दर्पण है