Press पल्लव की डायरी लहजे उनके खामोशी से सच्चाई दबा देते है घटित घटना को प्रलोभन में दबा देते है हिंसा लूट पाट बलात्कार को हेड लाइन बना देते है दुनिया की नजरों में गिराकर भारत की साख गिरा देते है खुद अर्ध नग्न विजापनो से रँगते अखबार मगर नैतिकता की मुहिम चलाते है समलेंगिकता रिलेशनशिप पर चुप्पी मगर हमारी पुरातन परम्परा पर हजारो सवाल उठाते है राग दरबारी बनते न्यूज पेपर जनता की मूलभूत खबरों को अखबारों में कभी नही बताते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" जनता की मूलभूत खबरों को अखबारों में कभी नही छपवाते है #NationalPressDay