लुका छुपी क़े खेल मे हम सब निपुण है बचपन से ही और ये खेल ताउम्र ज़ारी रहता है याने ये खेल बचपन की दहलीज़ से उछल कर जवानी . तक पहुँचता है और फिर उसके बाद बुढ़ापे की खाट तक पहुंचते पहुंचते पर्याप्त अनुभवी हो जाता है बचपन मे ये खेल निरापद मासूमियत .. भरा होता है जबकि जवानी मे इस खेल मे धूर्तता और चालाकी क़े तत्व आ जाते है और फिर बुढ़ापे तक पहुंचते पहुंचते तो ये और भी ज्यादा निपुणता हासिल कर लेता है यहां तक क़ि ज़ब मौत का देवता यमराज उसे दबोचने आजाता है तो वो अपनी खाट से गायब हो जाता है #खेल लुका छुपी का......