कोशिश कर रहा हू जीने की कई दिनों से. पुरानी यादो पर पैबंद लगा क़र. मजबूरीयां दुशवरिया साथ साथ रह रही है मेरे अंदर लगता नहीं कभी लग पाएगी ये किश्ती किनारे पर मेरे ख्वाबों का कारवा लूट लिया ज़माने ने अब रखूँगा अपनी यादे सीन मे आशिया बना कर. थम नहीं रहा तूफ़ान जो गम क़े सागर मे आया हुआ है ज़ुल्मी लहरों ने उड़ा दिए परखचे किशती क़े दम लगा कऱ मेरी वफ़ाओं को तुम बेवफ़ा क्यों समझ बैठे काश मैं दिखा पाता सबूत तुम्हें अपना दिल चीर कर ©Parasram Arora जीने की कोशिश