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ऎसा मैने कभी सोचा भी नहीं था कि शहर मे घ

ऎसा मैने  कभी सोचा  भी    नहीं  था 
कि  शहर  मे  घुमक्क्ड  सूअर   का  झुण्ड 
समाजशास्त्र  के लिए  चर्चा  का  विषय  बन सकता हैँ 
क्यों कि  एक दिन  जब मैने देखा 
कूड़े  का  डस्टबिन  कूड़े  की भ्रावक्षमता के 
उच्चतम  शिखर आ  चुका  था . 

तो  उस   कूड़े को  पाने के  लिए  सूअरों का झुण्ड 
अपने पेट मे पलते  हुए  बच्चो  के लिए   चिंघाड़  रहे   थे  ! समाजशास्त्र का  विषय.......
ऎसा मैने  कभी सोचा  भी    नहीं  था 
कि  शहर  मे  घुमक्क्ड  सूअर   का  झुण्ड 
समाजशास्त्र  के लिए  चर्चा  का  विषय  बन सकता हैँ 
क्यों कि  एक दिन  जब मैने देखा 
कूड़े  का  डस्टबिन  कूड़े  की भ्रावक्षमता के 
उच्चतम  शिखर आ  चुका  था . 

तो  उस   कूड़े को  पाने के  लिए  सूअरों का झुण्ड 
अपने पेट मे पलते  हुए  बच्चो  के लिए   चिंघाड़  रहे   थे  ! समाजशास्त्र का  विषय.......