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क्यूँ नहीं बरसते बंज़र पड़ती धरती में उन तरसती आँख

क्यूँ नहीं बरसते
बंज़र पड़ती धरती में
उन तरसती आँखों का सोचो
जो एक ही आस लिए बैठे हैं 
के तुम बरसो तो ये भी महकें 
धरती की तरह सोंधी-सोंधी... सोंधी-सोंधी...
क्यूँ नहीं बरसते
बंज़र पड़ती धरती में
उन तरसती आँखों का सोचो
जो एक ही आस लिए बैठे हैं 
के तुम बरसो तो ये भी महकें 
धरती की तरह सोंधी-सोंधी... सोंधी-सोंधी...
dilipkumar2981

DiLip KumaR

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