कुछ तो अलग है हम दोनों मे..
उसे ढलता हुआ सूरज पसंद है, और मुझे स्याह काली रात का चांद !
मैं जोगन उसकी बातो की, वो खुदको मेरी कविताओं का तलबगार कहता है !!
कुछ तो अलग है हम दोनों मे...
मुझे समंदर का किनारा पसंद है, और उसे मेरे अल्फ़ाजो की गहराई !
मैं कोसो दूर हूं इश्क़ से, वो मुझको उसका हमसफ़र कहता है !!
#poem#myvoice