कुछ तो अलग है हम दोनों मे..
उसे ढलता हुआ सूरज पसंद है, और मुझे स्याह काली रात का चांद !
मैं जोगन उसकी बातो की, वो खुदको मेरी कविताओं का तलबगार कहता है !!
कुछ तो अलग है हम दोनों मे...
मुझे समंदर का किनारा पसंद है, और उसे मेरे अल्फ़ाजो की गहराई !
मैं कोसो दूर हूं इश्क़ से, वो मुझको उसका हमसफ़र कहता है !!
#poem#myvoice
ShrUshti Pethe
फ़र्क ना पूछो मुझसे, के इश्क़ मे भेद कितना है !
मैं क़ुरान सी वो गीता सा, बस इतना सा क़िस्सा है !!
अलहदा है पीर बोहोत कैसा ये सिलसिला है !
मैं जैसे कोई ग़ज़ल सी वो कबीर का कोई दोहा है !!
-✍सृshti__
#BeatMusic
ShrUshti Pethe
फ़र्क ना पूछो मुझसे, के इश्क़ मे भेद कितना है !
मैं क़ुरान सी वो गीता सा, बस इतना सा क़िस्सा है !!
अलहदा है पीर बोहोत कैसा ये सिलसिला है !
मैं जैसे कोई ग़ज़ल सी वो कबीर का कोई दोहा है !!
-✍सृshti__
#BeatMusic#story