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मेरी आंखों में, जुगनू की तरह तुम चमकने लगे हो। मेर

मेरी आंखों में, जुगनू की तरह तुम चमकने लगे हो।
मेरी मोहब्बत को शाय़द तुम, जानने समझने लगे हो।।
मेरी बेकरारी से फिर भी, तुम अंजान बनते हो।
उलझा रहे हो मुझे, या खुद ही उलझनें लगे हो।।

©KaviRaj bhatapara #ballet
मेरी आंखों में, जुगनू की तरह तुम चमकने लगे हो।
मेरी मोहब्बत को शाय़द तुम, जानने समझने लगे हो।।
मेरी बेकरारी से फिर भी, तुम अंजान बनते हो।
उलझा रहे हो मुझे, या खुद ही उलझनें लगे हो।।

©KaviRaj bhatapara #ballet