हा देखा है मैने नाव मे बैठ कर आगे बहती नदी को औऱ पीछे छुट ती नदी को कितना सुंदर अनुभव है इसका आरम्भ कहीं तो होगा निश्चित ही इसका अंत भी होगा आगे कहीं किन्तु आरम्भ नदी नहीं है औऱ अंत भी नदी नहीं है नदी तो वह है जो इनके मध्य मे बहती है नदी का मध्य ही नदी है