Nojoto: Largest Storytelling Platform

आओ जी आओ प्रसाद ले जाओ, ताज़े-ताज़े फूल और माला चढ़ाओ

आओ जी आओ प्रसाद ले जाओ,
ताज़े-ताज़े फूल और माला चढ़ाओ,
माता का श्रृंगार, चुनरी, नारियल ले जाओ,
आओ सर आओ,
जूते भी यहाँ उतार लो, गाड़ी भी पार्क कर लो,
मंदिर और तीर्थ स्थानों के बाहर सजी दुकानों के दुकानदार,
आवाज़ लगाते है ग्राहक को बुलाने के लिये बार-बार,
कोई करता मोलभाव, कोई चुपचाप ले जाता है,
कोई दाम सुन के दो चार बात सुना जाता है,
इससे नहीं तो उससे प्रसाद-माला ले जाता है, सब तैनाती अपनी ड्यूटी खूब करते हैं,
श्रद्धालुओं को मुश्किल ना हो सारे रास्ते बताते हैं,
महंगाई की मार बड़ी बुरी है,
रोटी-रोजी कमाने में मेहनत कड़ी है,
रोटेशन में चढ़ावा है घूमता,
एक ही नारियल कई बार चढ़ता,
साँझ ढलते फूलमाला के दाम घटते,
मुरझाये फूल देव-देवी दर्शन को तरसते,
सुबह-सवेरे फिर सजती दुकान,
लौट आती फिर से खिले फूलों की मुस्कान।

©Rajni Sardana
  #फूल
#दुकाने #आजकल