दीवाल कहती दीवाल एक बिंदीदार कोई रेखा नहीं, है बांधती आजादी को अंतरिक्ष का कोई रंग नहीं होता अंतरिक्ष में कोई दीवार नहीं होता.... , बिग्गा से कट्ठा कट्ठा से धुर में बस घुसपैठ करते जा रहा हूँ, आकार प्रकार पोंछे .... अनंत आकाश की आजादी जो सिकश्त खा रहीं है मुझसे , सुन सको तो सुनो धरती की चीख भीतर की आवाज को सुनना ...... उन्मुक्त रूप मुक्त होंगे, रंगों की बौछार के साथ..... दीवाल जो कहती है धरती की तड़प देख .... दीवाल से अब दीवाल में दूरियां है अब बची कहाँ .....? अब इतनी बढ़ गयी नजदिकीयां दीवालो से दीवालो में टशन है दीवालो में दीवार खड़ी है इसी बात की कोलाहल बड़ी है.... । #निशीथ ©Nisheeth pandey दीवाल कहती दीवाल एक बिंदीदार कोई रेखा नहीं, है बांधती आजादी को अंतरिक्ष का कोई रंग नहीं होता अंतरिक्ष में कोई दीवार नहीं होता.... , बिग्गा से कट्ठा कट्ठा से धुर में बस घुसपैठ करते जा रहा हूँ, आकार प्रकार पोंछे ....