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तुम बोलो, कुछ बोलूँ क्या ? राज हृदय का खोलूं क्या

तुम बोलो, कुछ बोलूँ क्या ?
राज हृदय का खोलूं  क्या ?
                     मन तुझको रब मान चुका है,
                     मैं  भी  तेरा  हो - लूँ  क्या  ?
है, संदेह अगर तो कह दो,
प्रीत  तुला  में  तोलूँ  क्या ?
                     वर्षों बाद मिला है मौका,
                     लिपट-लिपट कर रो-लूँ क्या ?
स्वयं , सरोवर मीठा हो तुम,
मैं  नीरस, रस  घोलूँ  क्या ?
                    जो जीवन तुझपर हारा हूँ,
                     उस जीवन से मोलूँ क्या ?

      विनय 'बाली' सिंह बोलूँ क्या?
तुम बोलो, कुछ बोलूँ क्या ?
राज हृदय का खोलूं  क्या ?
                     मन तुझको रब मान चुका है,
                     मैं  भी  तेरा  हो - लूँ  क्या  ?
है, संदेह अगर तो कह दो,
प्रीत  तुला  में  तोलूँ  क्या ?
                     वर्षों बाद मिला है मौका,
                     लिपट-लिपट कर रो-लूँ क्या ?
स्वयं , सरोवर मीठा हो तुम,
मैं  नीरस, रस  घोलूँ  क्या ?
                    जो जीवन तुझपर हारा हूँ,
                     उस जीवन से मोलूँ क्या ?

      विनय 'बाली' सिंह बोलूँ क्या?