हां किसी को जलना पड़ता किसी के बुझने की खातिर सूरज को तपना पड़ता है एक फूल खिलने की खातिर पीछे हटना ही पड़ता है उछाल ले आने की खातिर एसी को तपना पड़ता है ठंडक लगवाने की खातिर उपकार सदा ना हाथों से अनजाने करना पड़ता है खुद को कमाने की खातिर कर देकर सेस अनजानो की खातिर ©दीपेश #sacrifies