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आयी हैं इम्तहान की घड़ी ऐसी आज, लायी हैं संग अपने उ

आयी हैं इम्तहान की घड़ी ऐसी आज,
लायी हैं संग अपने उपद्रवों का भंडार,
कोरोना ,निसर्ग जैसे कई और बुखार,
सरहद पर है सैनिको का संघर्ष बरक़रार।

बेफिक्र बैठना हमारे लिए है शर्मसार,
आओ मिलकर हम थामे अब रफ्तार,
विदेशी का पूर्णता करें वहिष्कार,
स्वदेशी ही स्वीकार करें बारंबार।

अपनी मातृभूमि पर करें इतना परोपकार,
अन्यथा ऐसे जीवन पर है धिक्कार,
जिस भारत देश ने दिया हमें मानवधिकार,
उन भारतीय परम्पराओ का करें हम प्रचार।

भारतीय जीवन-पद्धति ही हैं हमारी पतवार,
देवस्वरूपा प्रकृति को प्रणाम करें बारंबार,
भारत के जन-जन के हों ऐसे संस्कार,
कृपा करो हम सब पर ऐसी हे परवरदिगार।

आज हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ना हैं,
भारत के गौरव को विश्व की प्रेरणा बनाकर,
नए युग का सृजन हमें करना है।
नए युग का सृजन हमें करना है।।
                                                            सृष्टि गुप्ता swadeshi apnao,vidheshi bhagao ,bharat ko aatm nirbhar bnao
आयी हैं इम्तहान की घड़ी ऐसी आज,
लायी हैं संग अपने उपद्रवों का भंडार,
कोरोना ,निसर्ग जैसे कई और बुखार,
सरहद पर है सैनिको का संघर्ष बरक़रार।

बेफिक्र बैठना हमारे लिए है शर्मसार,
आओ मिलकर हम थामे अब रफ्तार,
विदेशी का पूर्णता करें वहिष्कार,
स्वदेशी ही स्वीकार करें बारंबार।

अपनी मातृभूमि पर करें इतना परोपकार,
अन्यथा ऐसे जीवन पर है धिक्कार,
जिस भारत देश ने दिया हमें मानवधिकार,
उन भारतीय परम्पराओ का करें हम प्रचार।

भारतीय जीवन-पद्धति ही हैं हमारी पतवार,
देवस्वरूपा प्रकृति को प्रणाम करें बारंबार,
भारत के जन-जन के हों ऐसे संस्कार,
कृपा करो हम सब पर ऐसी हे परवरदिगार।

आज हमें अपने अस्तित्व के लिए लड़ना हैं,
भारत के गौरव को विश्व की प्रेरणा बनाकर,
नए युग का सृजन हमें करना है।
नए युग का सृजन हमें करना है।।
                                                            सृष्टि गुप्ता swadeshi apnao,vidheshi bhagao ,bharat ko aatm nirbhar bnao