वो रात भूलती नहीं जब पहली दफा देखा था तुम्हें ज़ोरो से धड़का था दिल और नज़रो ने पहली मर्तबा बोला था कुछ सर्द रात में जलती आग के पास बैठी थी तुम और मुझे तुम रौशनी सी नज़र आ रही थी दोस्तों की थी महफिल जो तुम्हारी पर तुम सब में चाँद नज़र आ रही थी कोई वक्त नहीं होता बिमार हो जायें कोई बिना जानें खास हो जायें कोई ये मिज़ाज़- ए-इश्क में तहजीब कहाँ होती है होठों की बात नज़रों से बयां होती है फिर एक दौर था जब मुसाफ़िर बनें थे मुलाकातें थी कम हमारी , फिर भी साथ चलें थे पहरेदार थी तुम पर रस्में और रवायतें इश्क फिर हारा था तुम्हारी दी हुई कसमों के आगे उम्र के उस दौर में मिली हो जाकर जब दिल को दवा और दुवा दोनों की जरूरत है मैं आज भी उस रात में ठहरा हूँ इतज़ार में तेरे अब तो आ जाओ मुझे बर्बाद करने अब तो आ ही जाओ आबाद करने ।। ©Anurag ELahi #EkMohabhatAsiBhi #Couple