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उसको देखकर मुझे जब तक ख्याल होता रहा, वो बेगैरत बि

उसको देखकर मुझे जब तक ख्याल होता रहा,
वो बेगैरत बिना कुछ कहे यूंही मशगूल होता रहा।

हमारे नाम की तख्ती थी लगाई दरवाजे के बाहर,
जो रकीब को साथ लाई तो उसे मलाल होता रहा

उन फूलों की नुमाइश के वक्त दाम ठीक लग गया,
अर्थी पर सजाते हुए, महंगा है, ख्याल होता रहा।

वो चारासाज खराब निकला मर्ज़ ठीक कर गया,
बिला मर्ज क्या करूं, अब वक्त फिजूल होता रहा।

उसके होठों से ठीक ऊपर एक ज़रा सा तिल देखा,
शायद नजर का टीका लगाया हो, सवाल होता रहा।

उसकी नजरों की जानिब, ये भी धोखा हो जाता है,
देखूं उसको या ना देखूं मैं, ये भी कमाल होता रहा।

"किताब वाला" इश्क के हाथों मजबूर है, क्या करे,
देख मदहोश उसके हुस्न—ओ—जमाल होता रहा।

©Deepak Mishra "Kitab Wala"
  ग़ज़ल — होता रहा।

इश्क की बातें और उसका ख्याल, यही तो खूबी है इश्क की।
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ग़ज़ल — होता रहा। इश्क की बातें और उसका ख्याल, यही तो खूबी है इश्क की। love #romance #HeartBreak #ghazal #Shayar #kitabwala #jharokha #शायरी

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