किसी भी आदमी का आंकलन करने के लिए जरूरी नहीं ये जानना वो कहा जन्मा कब जन्मा किस घर मे जन्मा ...... ... बल्कि इस बात मे है क़ि पैदा होते ही वो रोया था या नहीं. क्योंकि ऊसे पैदा होने वाले दिन से लेकर मृत्युवाले दिन तक रोते रहना है ये भी संभव है क़ि ये रूदन का सतत अभ्यास उसे किसी दिन बुद्धत्व के दिव्यलोक तक पहुंचा दे...... बुद्धत्व और रूदन