#MothersDay माँ, तुम पूछना सुकून क्या है
मैं तुम्हारे गोद में सर रख दूंगा
अनकहे अल्फ़ाज़
दोस्त बनना चाहती हूँ
वो आम के बगीचे से तोड़े जाने वाले खट्टे-मीठे कैरी के उस वाकये को जानना चाहती हूँ,
तुम्हारी इस गोल-सी पतली रोटी बनाने की कला काे सीखना चाहती हूँ,
हर वक्त फर्ज़ और स्वाभिमान से लबरेज तुम्हारे चेहरे की नूर को माँगना चाहती हूँ,
पल में नारजगी और दूसरे ही पल ममता से भींग जानेवाली तुम्हारी आँखें पढ़ना चाहती हूँ,
कुछ देर बैठो न तुम मैं तुम्हें बातें अपनी बताना चाहती हूँ.....
अनकहे अल्फ़ाज़
#MothersDay --------- मां: ममता -------संतोष सिंह
जान कर भी जो अंजान होती है,
एक रोटी के बदले दो- चार देती है।
अरे रूठ जाऊं मैं भी अगर तो कोई बात नहीं,
ममता की मूरत मां तो मां होती है।
पूरी करती है सारी मन्नते जो भी होती है,