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vishwaveersingh1099
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Vishwa Singh

Poet || IT engineer ||

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Vishwa Singh

मै नही मानता, मै नहीं जानता ।

           ~ जनाब हबीब जालिब

मै नही मानता, मै नहीं जानता । ~ जनाब हबीब जालिब #शायरी

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Vishwa Singh

मैं बाबूजी का खोटा सिक्का निकला साहब,
इसलिए अब तक उनके पास ही हूं ||

©Vishwa Veer Singh #fathers
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Vishwa Singh

दोस्त, आज फिर वही पहले वाली ज़िन्दगी जीते है,
उठो, चलो कही बाहर एक एक कप चाय पीते है।

हमारी दोस्ती पर समय के साथ जो आये जख्म, सीते है,
उठो, चलो कही बाहर एक एक कप चाय पीते है।

तुम दोनों साथ आये यहाँ तो अच्छा लगा, गली कूचे कहते है,
उठो, चलो कही बाहर एक एक कप चाय पीते है। 

~ Vishwa #depression #Dosti #Original
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Vishwa Singh

बहुत याद आती हो माँ, तुम बहुत याद आती हो,
मेरी हद्द से बड़े इन मकान और मखमल की रज़ाइयों में,
तेरी वो गोटे से सजाई चटाई और हाथ से बुनी दसनी,
अब बहुत याद आती है माँ, तुम बहुत याद आती हो,

पूरी रात ताकते हुए स्याह सी छत्त और ए सी की ठंडक सेट करते हुए,
पुराने घर का वो छज्जा और उसपर मस्त बहती पुरवाई,
बहुत याद आती है माँ, तुम बहुत याद आती हो,

जरा सा बीमार पड़ते ही फेसबुक, वॉट्सएप्प पर 'गेट वेल सून' के मैसेज पड़ते हुए
मेरे सर पर गीली पट्टिया बदलते तेरे हाथ की छुवन,
बहुत याद आती है माँ, तुम बहुत याद आती हो ।
                                     ~Vishwa #mothers_day 
#Mom 
#maa
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Vishwa Singh

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Vishwa Singh

Yaad Tumhari #yaad

Yaad Tumhari #Yaad

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Vishwa Singh

जब आधी रात तुम्हारे सपने से नींद खुल जाती है,
जब रात बाकी करवट बदलने में काटी जाती है,
जब सुबह सुबह मन तुमसे बात करने को मचलता है,
जब रह रह कर हाथ फ़ोन को जाता है,
जब दिल और दिमाग के बीच अंदरद्वंध चलता है,
जब फ़ोन डायरी से तुम्हारा नंबर ढूंढा जाता है,
जब पहले वाक्य का अभ्यास बार बार होता है,
जब घडी में 9 बजने का इंतज़ार रहता है,
जब साथ बिताये पलो की यादों का झोका बहता है,
जब समय बिताने के लिए पुरानी तस्वीरेँ देखी जाती है,
तब साथ खींची वो आखिरी तस्वीर सामने आती है,
और उसके नीचे तुम्हारे हाथों से लिखा 'आखिरी अलविदा' दिखता है,
तब कुछ एक आँसू आँखों में झलक आते है,
मखमली दिल फिर पत्थर बन चलता है,
दिमाग दिल को सच्चाई सब याद दिलाता है,
दिल बेचारा आज फिर बेबस हो हार जाता है,
दिल बेचारा आज फिर बेबस हो हार जाता है |

                                           ~vishwa #nojoto #hindi #hindipoem #kavita #vishwapoem
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Vishwa Singh

वो लड़की धूम धड़का थी, वो खंजर थी वो दराता थी
वो लड़की धूम धड़का थी, मिश्री थी वो बताशा थी

वो लड़की धूम धड़का थी

वो चलती नहीं बस बहती थी, वो चलती नहीं बस बहती थी 
सच सीधे दिल की कहती थी, कुछ कहते थे वो आशा थी
कुछ कहते महज़ तमाशा थी, वो लड़की धूम धड़ाका थी

वो बादल बिजुरी हंसती थी, वो सावन भादो रोती थी
कुछ कहे कि दिल को दिलासा थी, कुछ कहते केवल झांसा थी

वो लड़की धूम धड़ाका थी,

वो अपने दिल में आई थी और दो पल को सुस्ताई थी
जब थोड़ा वो मुस्काई थी, हर रोम में लपट उठाई थी
हमने भी बड़े जतन किये, उसको हम वश में कर लाये
हमको सदियों से आदत है, जो भाये उसे जीत के घर लाये
रेती मुट्ठी से निकल गयी, वो वक़्त के जैसे फिसल गयी
वो जीवन की परिभाषा थी, कुछ कहे जुवे का पासा थी

वो लड़की धूम धड़ाका थी,

जब गयी तो आखिर समझे हम, वो कुदरत बन के आई थी
जिस लम्हा, हम वो एक हुवे, बस उस लम्हे की कमाई थी
वो आई, आ कर चली गयी, वो शाम सुहानी ढली गयी
कुछ कहे के रूपा सोना थी, कुछ कहे के ताम्बा कांसा थी

वो लड़की धूम धड़ाका थी,

अब भी दिल के नशेमन में, एक उसका कमरा खाली है
वहां उस कमरे के शीशे पर, उसके जौबन की लाली है
अब ना जाने कहाँ रहती है, वो, जाने कौन दिशा में बहती है वो
सब कहते है उसका क़त्ल हुआ, वो कुलच्छिनि कुलनासा थी

वो लड़की धूम धड़ाका थी,


~ Swanand kirkire

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Vishwa Singh

तुम क्या आजकल मुझे इग्नोर कर रही हो, नहीं तो |
तो क्या इश्क़ कही और कर रही हो, नहीं तो |

फिर क्यों आँखें मेरी आँखों में डालती नहीं हो, 
मैं बिखरूं तो पहले जैसे संभालती नहीं हो,
बाइक में अब हमारे बीच बैग को रखती हो,
साथ डिनर करते समय खाली रोड को तकती हो |

जिद्द नहीं की तुमने अरसे से रात में आइस क्रीम खाने की,
संडे घर आकर साथ जाफरानी बिरयानी पकाने की,

बोलो मेरी बातें क्या आजकल तुम्हे बोर लगती है,नहीं तो |
क्या तुम्हारी नींद किसी और की मिस कॉल से खुलतीं है , नहीं तो |

                                                                        ~ vishwa नहीं तो |

नहीं तो |

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Vishwa Singh

 #nojoto #vishwapoem #kavita
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