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sawansharma3143
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Sawan Sharma

music lover, narcissist, book lover, love to convert feelings into word

penofsawan.blogspot.in

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Sawan Sharma

White जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा
तस्वीर में नहीं, अपने पास में
तेरी आवाज़ जाए
सबसे पहले कानो में 
जागू तो मिले उंगलियां
तेरे बालो में उलझी हुई 
जिन्हें सहलाते हुए
रात मुझे नींद आ गई थी
जीवन की कुछ इच्छाओं में 
एक इच्छा ये भी है।

बाहर निकल कर कमरे से
तेरे हाथ की चाय मिले
चीनी हो उसमें थोड़ी 
थोड़ी प्रेम की मिठास हो
संवरने लगे जाने को ऑफिस 
मैं देखु तुझे संवरते हुए
दराज़ से निकाले तू झुमके
मैं पहना दु अपने हाथों से 
जीवन की कुछ इच्छाओं में 
एक इच्छा ये भी है।

मैं सारा दिन घर रहकर
प्रेम की किताबें लिखू
शाम को घर आते ही 
चाय तुझे तैयार मिले
थकान मिटाने दिन भर की 
घर आते ही गले लगे 
फ़िर हम दोनों साथ बैठकर 
वो प्यार से बनी चाय पीये
जीवन की कुछ इच्छाओं में 
एक इच्छा ये भी है।

©Sawan Sharma जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा
तस्वीर में नहीं, अपने पास में
तेरी आवाज़ जाए
सबसे पहले कानो में 
जागू तो मिले उंगलियां
तेरे बालो में उलझी हुई 
जिन्हें सहलाते हुए
रात मुझे नींद आ गई थी

जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा तस्वीर में नहीं, अपने पास में तेरी आवाज़ जाए सबसे पहले कानो में जागू तो मिले उंगलियां तेरे बालो में उलझी हुई जिन्हें सहलाते हुए रात मुझे नींद आ गई थी #कविता

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Sawan Sharma

कभी कभी ज़िन्दगी
ले जाती ऐसे टापू पर
ना चाहते हुए भी जहां 
फंस जाते हैं हम
पास से देखने पर 
जो लगता है काफ़ी सुंदर
चाहते नहीं निकलना
बाहर हम उस टापू से
अकेलापन जो होता है 
सुकून देने लगता है 
खुश होते हैं टापू पर 
देख खूबसूरत नज़ारे
लेकिन मैं ये कहता हूं 
निकल जाओ उस टापू से 
क्या पता उससे भी ज्यादा 
सुंदर टापू मिल जाए
कहीं नज़ारे देखने को 
साथी भी एक मिल जाए..

©Sawan Sharma कभी कभी ज़िन्दगी
ले जाती ऐसे टापू पर
ना चाहते हुए भी जहां 
फंस जाते हैं हम
पास से देखने पर 
जो लगता है काफ़ी सुंदर
चाहते नहीं निकलना
बाहर हम उस टापू से

कभी कभी ज़िन्दगी ले जाती ऐसे टापू पर ना चाहते हुए भी जहां फंस जाते हैं हम पास से देखने पर जो लगता है काफ़ी सुंदर चाहते नहीं निकलना बाहर हम उस टापू से #विचार

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Sawan Sharma

एक किनारे मैं खड़ा
तुम खड़ी दूजे किनारे
एक पुल बनाना है मुझे 
जो जोड़ दे दोनों किनारे ..

जो कभी टूटे नहीं 
पुल वो ऐसा ठोस हो
तय कर ले आसानी से

एक किनारे मैं खड़ा तुम खड़ी दूजे किनारे एक पुल बनाना है मुझे जो जोड़ दे दोनों किनारे .. जो कभी टूटे नहीं पुल वो ऐसा ठोस हो तय कर ले आसानी से #कविता

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Sawan Sharma

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Sawan Sharma

कहूँ अपना या ना तुमको
प्रिये कहू या प्रेयसी
या बन जाऊँ अनजान कोई 
सोचू नहीं तुम को मैं अपना
दुविधा भरे मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो

साथ रहो तुम बन के संगिनी
स्वप्न ऐसे सजा लूं क्या
या जब आए स्वप्न ऐसा 
तब मैं नींद से उठ जाऊँ 
स्वप्न देखते मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो

प्रार्थनाओं में हमेशा 
साथ तुम्हारा मांगता हूं 
आस करू मैं मिलने की 
या आस लगाना छोड़ दु 
आशावादी मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो ।

©pen_of_sawan कहूँ अपना या ना तुमको
प्रिये कहू या प्रेयसी
या बन जाऊँ अनजान कोई 
सोचू नहीं तुम को मैं अपना
दुविधा भरे मन को मेरे 
तुम ही कुछ सुझाव दो

साथ रहो तुम बन के संगिनी

कहूँ अपना या ना तुमको प्रिये कहू या प्रेयसी या बन जाऊँ अनजान कोई सोचू नहीं तुम को मैं अपना दुविधा भरे मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो साथ रहो तुम बन के संगिनी #कविता

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Sawan Sharma

प्रेम में पड़ा इंसान 
होता है काफ़ी जलनखोर
मुझे भी जलन होती है 
हर उस चीज़ से, हर इंसान से
जो तुम्हें सामने देख सकते हैं
उस लैपटॉप से भी जलन होती है
जिस पर तुम्हारी उंगलियां चलती है
उस फोन से जलन होती है
जो सदा तुम्हारे हाथ में होता है
तुम्हारी आँखों को छूने वाले चश्मे से 
आँखों में लगने वाला काजल से 
पैरों को छूने वाली पायल से 
बालो को छूने वाली क्लिप से 
हाथों को छूने वाली चूडिया से 
माथे को छू लेने वाली बिंदी से
वो आईना जिसमें देखकर 
तुम खुद को संवारती हो 
वो आईना सबसे ज्यादा
भाग्यशाली मुझे लगता है 
और इन सबसे ज्यादा जलन होती है
उन झुमको से मुझको 
जो झुमको तुमको 
सबसे ज्यादा प्यारे है ।

सावन शर्मा
बड़वानी

©pen_of_sawan प्रेम में पड़ा इंसान 
होता है काफ़ी जलनखोर
मुझे भी जलन होती है 
हर उस चीज़ से, हर इंसान से
जो तुम्हें सामने देख सकते हैं
उस लैपटॉप से भी जलन होती है
जिस पर तुम्हारी उंगलियां चलती है
उस फोन से जलन होती है

प्रेम में पड़ा इंसान होता है काफ़ी जलनखोर मुझे भी जलन होती है हर उस चीज़ से, हर इंसान से जो तुम्हें सामने देख सकते हैं उस लैपटॉप से भी जलन होती है जिस पर तुम्हारी उंगलियां चलती है उस फोन से जलन होती है #lover #Prem #कविता

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Sawan Sharma

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©pen_of_sawan #jayshreekrishna
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Sawan Sharma

प्रेरणा बन गई हो तुम मेरी 
प्रेयसी भी बन जाओ ना
हृदय में रहती हो मुझको भी
अपने हृदय बुलाओ ना

खोज चली थी प्रेम की जो
तुम पर आकर खत्म हुई
कठिन लगी थी प्रेम की भाषा
तुम से मिलकर सरल हुई ।

बिना किसी जीवनसाथी के 
जीवन कट तो जाएगा
साथी होगी निरस जीवन 
में भी रस आ जाएगा 

सूने से मेरे आँगन में
तुम पायल छनकाओ ना
एकाकी जीवन यात्रा की 
साथी तुम बन जाओ ना

©pen_of_sawan geet

geet #Poetry

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Sawan Sharma

urge to sit with you.
on the edge of the river.
Our toes dipped.
playing with each others'

urge to watch the sunset with you.
that reflection in water
You see Beauty in the sky.
I see beauty beside mine.

urge to sit with you 
on rooftop, sky full of stars
a beautiful night 
you, me and moonlight 

urge to get lost in your eyes
lost in your long hairs
I urge you to stay with me.
urge to be together until we die.

©pen_of_sawan Urge

Urge #Poetry

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Sawan Sharma

प्रेम को जिससे प्रेम रहे
उससे कैसे प्रेम ना हो
इसलिए मुझको झुमको से
प्रेम होने लगा है ।

ईर्ष्या होती है कभी कभी
प्रेम जो इनसे है तुमको
ढूंढती हो जो तुम इनको  
स्पर्श ये करते हैं तुम को 

लगता है मुझको के काश
मैं भी एक झुमका होता
तुम्हारे प्यारे गहनों में
मैं भी एक गहना होता ।

पर अच्छा है इंसान ही हूँ
तुम्हारा कोई झुमका नहीं 
झुमके होते हैं कई सारे 
और मैं हूं एक ही 

देख नहीं सकता झुमका
ना ही प्रेम वो कर सकता
उसके लिए तुम्हारा मोह
अनुभव नहीं वो कर सकता 

प्रेमी हो कर मैं तुम्हारा 
तुम्हें मैं भी देख सकता हूँ 
झुमके, चूड़ी, काजल, बिंदी
सब कुछ मैं ला सकता हूं ।

©pen_of_sawan प्रेम को जिससे प्रेम रहे
उससे कैसे प्रेम ना हो
इसलिए मुझको झुमको से
प्रेम होने लगा है ।

ईर्ष्या होती है कभी कभी
प्रेम जो इनसे है तुमको
ढूंढती हो जो तुम इनको

प्रेम को जिससे प्रेम रहे उससे कैसे प्रेम ना हो इसलिए मुझको झुमको से प्रेम होने लगा है । ईर्ष्या होती है कभी कभी प्रेम जो इनसे है तुमको ढूंढती हो जो तुम इनको #कविता

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