जब सवेरा हो, तो दिखे चेहरा तेरा
तस्वीर में नहीं, अपने पास में
तेरी आवाज़ जाए
सबसे पहले कानो में
जागू तो मिले उंगलियां
तेरे बालो में उलझी हुई
जिन्हें सहलाते हुए
रात मुझे नींद आ गई थी #कविता
Sawan Sharma
कभी कभी ज़िन्दगी
ले जाती ऐसे टापू पर
ना चाहते हुए भी जहां
फंस जाते हैं हम
पास से देखने पर
जो लगता है काफ़ी सुंदर
चाहते नहीं निकलना
बाहर हम उस टापू से #विचार
Sawan Sharma
एक किनारे मैं खड़ा
तुम खड़ी दूजे किनारे
एक पुल बनाना है मुझे
जो जोड़ दे दोनों किनारे ..
जो कभी टूटे नहीं
पुल वो ऐसा ठोस हो
तय कर ले आसानी से #कविता
कहूँ अपना या ना तुमको
प्रिये कहू या प्रेयसी
या बन जाऊँ अनजान कोई
सोचू नहीं तुम को मैं अपना
दुविधा भरे मन को मेरे
तुम ही कुछ सुझाव दो
साथ रहो तुम बन के संगिनी #कविता
Sawan Sharma
प्रेम में पड़ा इंसान
होता है काफ़ी जलनखोर
मुझे भी जलन होती है
हर उस चीज़ से, हर इंसान से
जो तुम्हें सामने देख सकते हैं
उस लैपटॉप से भी जलन होती है
जिस पर तुम्हारी उंगलियां चलती है
उस फोन से जलन होती है #lover#Prem#कविता
प्रेम को जिससे प्रेम रहे
उससे कैसे प्रेम ना हो
इसलिए मुझको झुमको से
प्रेम होने लगा है ।
ईर्ष्या होती है कभी कभी
प्रेम जो इनसे है तुमको
ढूंढती हो जो तुम इनको #कविता