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divyajoshi8623
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Divya Joshi

https://youtu.be/kFKtpOnTDms BSC गणित से करके कला में कलम चलाए "जो" अपने बारे में आपको क्या बताए "वो"। समाजसेवा, संगीत, लेखन, रचनात्मकता और हर क्षेत्र में लीडर बने रहने में रुचि है। लीडर मतलब नेतृत्व भैया अब आप इसे राजनीति से मत जोड़ लेना। हम अनिल कपूर नहीं हैं नायक के। और बाकी अपनी तारीफ का ढोल हम क्या बजाएं। आपकी आंखें अगर हमारी रचनाओं का xray करने में सक्षम हो तो आप ही रिपोर्ट बनाकर कमेंट बॉक्स में हमे भेजते रहिए। समय हो तो यहां भी घूम आइये बहुत लोगों ने बहुत जगह अलग-अलग मशीन से रिपोर्ट बनाकर भेजी है। https://pratilipi.app.link/hi/referral?referral_code=RF34BMV lekhaniblog.blogspot.com lekhniblogdj.blogspot.com https://www.facebook.com/profile.php?id=100012660999440 https://www.instagram.com/divyajoshi111/feed/ लिंक्स न खुलें तो कमेंट में डिस्टर्ब कर सकते हैं। caution⚠️भैया "फ़ोटू पुजारी" (सिर्फ फ़ोटो देख कर फॉलो कर लेने वाले) दूर रहें। उसके लिए फेसबुक पर बहुत लोगों के बहुत अच्छे अच्छे फ़ोटू हैं।🙏 To contact me mail @ divyainsure@gmail.com

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Divya Joshi

चेहरे पर गर है मुस्कुराहटों का पहरा,
इस दर्द का राज़ है बेहद, बेहद गहरा!

©Divya Joshi
  #pain #feelings #बातें_अनकही
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Divya Joshi

वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की!
कहाँ पता था, इस कदर तुम मेरी ज़िंदगी मे हमेशा के 
लिए शामिल हो जाओगे! 
कुछ भी तो एक सा नही था हमारे बीच! न विचार, न व्यवहार, न लोग!! 
एक अप्रत्याशित सी सुबह थी! कुछ पीले गुलाब थे जो हमारे नहीं थे! 
एक भरी बस थी जिसमे सब पराए थे! तुम खुद भी तो तब पराए ही थे! प्रेम का इज़हार तो दूर कोई बात तक नहीं हुई थी हमारे बीच।
और उस दिन से आज तक कितना कुछ बदल गया ना! बस यही एक बात जस की तस है।
ना तुमने तब कुछ कह था, न आज कहा!
पर मैंने तब भी सुन लिया था आज भी सुन लेती हूँ। 
अस्पष्ट था सबकुछ, बहुत सा संभ्रम था हमारे बीच।
अनिर्णय और असमझ कि स्थिति में जन्म लिया रिश्ता अब तक जीवित है! आश्चर्य! 
और न केवल जीवित है वरन खुल कर खुशी से साँस ले पा रहा है बेहद आश्चर्य!!!
और इससे भी बड़ा आश्चर्य इस कहानी के दोनों किरदारों में जिंदादिली और समझदारी की महक अब भी बरक़रार है!!!
ये प्रेम कहानी नहीं है, ये है प्रेम की परत चढ़ी हुई तुम्हारे मेरे साझे प्रयास की कहानी!

©Divya Joshi #HappyRoseDay 

वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की!
कहाँ पता था, इस कदर तुम मेरी ज़िंदगी मे हमेशा के लिए शामिल हो जाओगे! कुछ भी तो एक सा नही था हमारे बीच! न विचार, न व्यवहार, न लोग!! 
एक अप्रत्याशित सी सुबह थी! कुछ पीले गुलाब थे जो हमारे नहीं थे! एक भरी बस थी जिसमे सब पराए थे! तुम खुद भी तो तब पराए ही थे! प्रेम का इज़हार तो दूर कोई बात तक नहीं हुई थी हमारे बीच।
और उस दिन से आज तक कितना कुछ बदल गया ना! बस यही एक बात जस की तस है।
ना तुमने तब कुछ कह था, न आज कहा!
पर मैंने तब भी सुन लिया था आज भी

#HappyRoseDay वो सुबह अजीब थी, हमारी पहली मुलाकात की! कहाँ पता था, इस कदर तुम मेरी ज़िंदगी मे हमेशा के लिए शामिल हो जाओगे! कुछ भी तो एक सा नही था हमारे बीच! न विचार, न व्यवहार, न लोग!! एक अप्रत्याशित सी सुबह थी! कुछ पीले गुलाब थे जो हमारे नहीं थे! एक भरी बस थी जिसमे सब पराए थे! तुम खुद भी तो तब पराए ही थे! प्रेम का इज़हार तो दूर कोई बात तक नहीं हुई थी हमारे बीच। और उस दिन से आज तक कितना कुछ बदल गया ना! बस यही एक बात जस की तस है। ना तुमने तब कुछ कह था, न आज कहा! पर मैंने तब भी सुन लिया था आज भी #ज़िन्दगी #roseday2024

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Divya Joshi

World Cancer Day दुःख हार जाता है हर बार मुझसे
क्योंकि ये बस तोड़ सकता है मुझे
इसकी जीत तो तब होगी न
जब ये समूल मिटा पाएगा मुझे

इसका मुझसे जीत पाना 
नामुमकिन है।

©Divya Joshi
  #WorldCancerDay
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Divya Joshi

A true Bond =your strength
written by Rakesh bhai saa.

A true Bond =your strength written by Rakesh bhai saa. #ज़िन्दगी

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Divya Joshi

ये वो जगह है जहाँ, "मैं"
"मैं" होती हूँ। बस "मैं"!

यही एक रास्ता है खुद को पाने का 
खुद को ढूंढ लेने, खुद में खो जाने का। 

मिट चुके अस्तित्व को तलाशने का।
तन्हाइयों में खुद में झाँकने का।

खुद से भर भर शिकायतें करने का
रवायतों को ढोने का मलाल रहने का
आगे कैप्शन में पढ़ें

©Divya Joshi
  ये वो जगह है जहाँ, "मैं"
"मैं" होती हूँ। बस "मैं"!

यही एक रास्ता है खुद को पाने का 
खुद को ढूंढ लेने, खुद में खो जाने का। 

मिट चुके अस्तित्व को तलाशने का।
तन्हाइयों में खुद में झाँकने का।

ये वो जगह है जहाँ, "मैं" "मैं" होती हूँ। बस "मैं"! यही एक रास्ता है खुद को पाने का खुद को ढूंढ लेने, खुद में खो जाने का। मिट चुके अस्तित्व को तलाशने का। तन्हाइयों में खुद में झाँकने का। #कविता

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Divya Joshi

गहरे ज़ख्म-1

हसरतों के ख़ामोश क़त्ल होते रहे,
गहरे ज़ख्म दिल को यूँ डुबोते रहे,
ग़ैरों से गिला तो हम क्या ही करते,
अपने ही जब सीने में नश्तर चुभोते रहे।

दिल पर लगे ज़ख्मों की कहानी ये रही,
अपनी चुप्पी में ही हम उन्हें पिरोते रहे।

©Divya Joshi
  #Women 
गहरे ज़ख्म
हसरतों के ख़ामोश क़त्ल होते रहे,
गहरे ज़ख्म दिल को यूँ डुबोते रहे,
ग़ैरों से गिला तो हम क्या ही करते,
अपने ही जब सीने में नश्तर चुभोते रहे।

दिल पर लगे ज़ख्मों की कहानी ये रही,

#Women गहरे ज़ख्म हसरतों के ख़ामोश क़त्ल होते रहे, गहरे ज़ख्म दिल को यूँ डुबोते रहे, ग़ैरों से गिला तो हम क्या ही करते, अपने ही जब सीने में नश्तर चुभोते रहे। दिल पर लगे ज़ख्मों की कहानी ये रही, #ज़िन्दगी

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Divya Joshi

बस चलता तो रोक लेते अपनों को जाने से
मिलता नहीं सुकून तन्हा गीत गुनगुनाने से

©Divya Joshi #Ambitions
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Divya Joshi

छू लेंगे आसमाँ एक दिन 
दिल आज भी परिंदा है!
रास्ते तो मुश्किल ही रहे हमारे
हिम्मत फिर भी जिंदा है!

©Divya Joshi
  #Ambitions छू लेंगे आसमाँ एक दिन 
दिल आज भी परिंदा है!
रास्ते तो मुश्किल ही रहे हमारे
हिम्मत फिर भी जिंदा है!

#Ambitions छू लेंगे आसमाँ एक दिन दिल आज भी परिंदा है! रास्ते तो मुश्किल ही रहे हमारे हिम्मत फिर भी जिंदा है! #ज़िन्दगी

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Divya Joshi

खेल तेरे,
खेल के नियम तेरे,
खिलाड़ी तेरे,
फिर जीत 
मेरी कैसे हो सकती थी!

©Divya Joshi
  #Women 

खेल तेरे,
खेल के नियम तेरे,
खिलाड़ी तेरे,
फिर जीत 
मेरी कैसे हो सकती थी!

#Women खेल तेरे, खेल के नियम तेरे, खिलाड़ी तेरे, फिर जीत मेरी कैसे हो सकती थी! #ज़िन्दगी

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Divya Joshi

विश्वास नहीं होता कि मैं सब भूल गई,
सब कुछ!
वो सब भी जो कभी न भूलने की कसम दी थी मैंने कभी खुद को
हर दर्द हर आँसू हर बेरुखी
सब भूलकर तुम्हें फिर से अपना लिया
और फिर से हो गई तुम्हारी बंदिनी!

©Divya Joshi
  #UskiAankhein विश्वास नहीं होता कि मैं सब भूल गई,
सब कुछ!
वो सब भी जो कभी न भूलने की कसम दी थी मैंने कभी खुद को
हर दर्द हर आँसू हर बेरुखी
सब भूलकर तुम्हें फिर से अपना लिया
और फिर से हो गई तुम्हारी बंदिनी!

#UskiAankhein विश्वास नहीं होता कि मैं सब भूल गई, सब कुछ! वो सब भी जो कभी न भूलने की कसम दी थी मैंने कभी खुद को हर दर्द हर आँसू हर बेरुखी सब भूलकर तुम्हें फिर से अपना लिया और फिर से हो गई तुम्हारी बंदिनी! #ज़िन्दगी

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