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jyotiprakashrai5600
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Jyoti Prakash Rai

देश भक्ति कविता, नई उमंग और तरंग की कविता, कुछ शब्द माता- पिता के लिए, कुछ रचनाएँ प्रेम को समर्पित, और बहुत कुछ पाने की आकांक्षा। जय हिंद

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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

तुम्हारा था तुम्हारा हूँ। ज्योति प्रकाश राय
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Jyoti Prakash Rai

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Jyoti Prakash Rai

sunset nature सूरज की पहली किरण कहूँ या कहूँ लालिमा शाम तुम्हे
जब जब देखूँ रूप मोहिनी लिख दूँ आठों याम तुम्हे।।

©Jyoti Prakash Rai
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Jyoti Prakash Rai

bench द्वेष

एक औरत ही औरत के दुःख का कारण होती हैं
वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं

जब तक माँ बेटी होती हैं हर कष्ट खुशी से सहती हैं
बन गयी बहू तो फिर सातवें आसमान पर रहती हैं

दिन रात पहाड़ा पढ़ती हैं और नही चैन से सोती हैं
वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं

एक बहू के आने से सास बन गयी सभी में ख़ास
सास कहे बात सुनो कहूँ भला क्या जूना इतिहास

अपमानित कर स्त्री को ईर्ष्या के बीज वो बोती हैं
वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं

ननद बनी वह भी स्त्री भाभी बनी जो वह भी स्त्री
देवरानी बनी वह भी स्त्री जेठानी बनी वह भी स्त्री

बात करें वो बढ़ चढ़ कर आप ही आपा खोती हैं
वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं खुद ही बैठ के रोती हैं

इतिहास गवाह है युग युग से एक से दो यदि हो जाएं
भगवान ही जाने दिन बीते रात शान्ति से सो जाएं

गांधारी द्रौपदी सिया सुपर्णखा सुरुचि सुनीति होती हैं
वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं और खुद ही बैठ के रोती हैं

यदि स्त्री स्त्री को समझे परिवार नही फिर बिगड़ेगा
स्नेह - प्रेम घर बरसेगा और स्वर्ग धरा पर उतरेगा

पर ऐसा होना बहुत असम्भव सरल न बहते मोती हैं
वह खुद ही द्वेष बढ़ाती हैं और खुद ही बैठ के रोती हैं

©Jyoti Prakash Rai #Bench #lady #Life #girl #Family #nojato #Hindi #Poetry #Friend
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